सुरसुन्दरी यक्षिणी सबसे सुंदर स्त्री होती है । संभव है आपको वैसी स्त्री कहीं पर भी ना मिले । सुरसुन्दरी यक्षिणी के दर्शन यदि आप कर लेते हैं तो यह आपके लिए सौभाग्य की बात होगी । लेकिन इतना माना जाता है कि यह सुंदरता मे सबसे अच्छी होती है । आपको बतादें कि यह भौतिक सुंदरता नहीं होती है । क्योंकि यक्षिणी का कोई सुंदरता की वजह से ही इसको सुरसुन्दरी यक्षिणी कहा गया है । भौतिक शरीर नहीं होता है । इनका शरीर अपंचिक्रत होता है ।
सुरसुंदरी यक्षिणी की साधना आप माता ,बहन या प्रेमिका के रूप मे कर सकते हैं लेकिन कहा जाता है कि आप इसको एक प्रेमिका के जैसे उपयोग कर सकते हैं यह आपको एक रियल स्त्री के अनुभव दिला सकती है लेकिन इस प्रयोग के अंदर भोग का कोई स्थान नहीं होता है । कुछ साधक सोचते हैं कि वे यक्षिणी को सिद्व करके उनके साथ भोग कर सकते हैं तो यह उनकी गलत फैमी है ।
सुरसुन्दरी यक्षिणी की साधना यदि आप प्रेमिका के रूप मे करें तो अधिक अच्छा होगा । ऐसा माना जाता है कि यह एक रियल प्रेमिका के जैसा व्यवहार कर सकती है या आपकी मन की बात को पढ़ सकती है और आप इससे बात भी कर सकते हैं । सबसे अच्छी बात तो यह है कि आप इसको कहीं पर भी बुला सकते हैं ।
सुरसुन्दरी यक्षिणी को पत्नी के रूप मे कभी भी सिद्व नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि वह किसी दूसरी स्त्री को स्पर्श करता है तो साधक की मौत हो जाती है । सबसे अच्छी बात है कि आप उसे एक मित्र की तरह सिद्व कर सकते हैं । यह सबसे अच्छा तरीका है ।
यह सुरसुन्दरी यक्षिणी साधना रात को 10 से 12 बजे के बीच आरम्भ करनी होती है । माला स्फटिक की लेनी होती है । यह पूरी तरह से सिद्व होनी चाहिए । आपको स्नान करके गुलाबी और लाल वस्त्र पहनने होंगे ।और गुलाब का इत्र लगाएं और लाल रंग के आसन पर बैठना होगा । अपने सामने एक चोकी लगाएं और लाल और गुलाबी कपड़ा बिछाएं । उसके बाद उसके उपर सुरसुंदरी की फोटो रखें और चमेली का दीपक जलाएं ।
भोग मे दुध से वनी मिठाई और ड्राई फ्रूट रखे एक प्याले मे शराब रखे सुगन्धित धुप जलाये और चारो तरफ ईत्र छिड़के फिर एक माला गणेशजी के मन्त्र की करे ॐ गं गणपतये नमः।
उसके बाद एक माला भैरवजी के मंत्र की करें उसके बाद एक माला अपने गुरू मंत्र की करनी होगी । यह सारी प्रोससे रोज ही करनी होती है । उसके बाद 108 माला रोज सुर सुंदरी यक्षिणी (Sursundari Yakshini) की करनी होगी और उसके बाद यह क्रिया 21 दिन तक करनी होगी ।
Sursundari Yakshini Mantra :
यक्षिणी मंत्र : {{ ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा }}
22 वे दिन हवन करे 1008 आहुतियां दे हवन शुद्ध घी मे चमेली का इत्र और गुलाब की पत्ती मिला कर करना है । और ऐसा करने से सुर सुंदरी प्रसन्न हो जाएगी और आपको दर्शन देगी ।
जब कोई सुर सुंदरी की साधना को विधि पूर्वक सम्पन्न करता है तो वह साधक को दर्शन भी देती है और ऐसी स्थिति के अंदर सुर सुंदरी को प्रणाम करना चाहिए । वह इस समय पूछे कि आप ने उसे क्यों याद किया तो आप इसके लिए वचन ले सकते हैं । कि आप मेरी सखा बनना स्वीकार कीजिए ।
Sursundari Yakshini Sadhana Ke Fayda :
यक्षिणी साधना के अपने फायदे होती हैं । इसी प्रकार से सुर सुंदरी यक्षिणी (Sursundari Yakshini) को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति देने वाली बताया गया है । यदि कोई इसको माता के रूप मे सिद्व करता है तो यह साधक का एक माता की भांति पूरा ख्याल रखती है । इसी प्रकार से यदि कोई सुर सुंदरी यक्षिणी (Sursundari Yakshini) को बहन के रूप मे सिद्व करता है तो फिर उसके प्रति उसी प्रकार के भावों को रखना चाहिए । वह एक बहन की तरह साधक के साथ व्यवहार करती है ।
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जय माँ कामाख्या