Shri Bhagvati Ugti Meladi Mantra Sadhana Vidhi :
।। उगती मेलडी साधना मंत्र।।
“सूरजथी छुटी मां मेलडी आबी।
सात सुकितनी पास।दरीयानु नीर पीती आई।
कांचा बौकडा भरखी आई।।
सात भठठी नो दारू पीती आई।
मारी बैलाबेली ना आबे तो सात सुकितनी दुहाई फरे।
तेथी ना आबे तो शिब शक्ति ना बाण फरे।
हाल हाल रबि भाणनी देबी उगतानी देबी माई मेलडी हाजर था।।”
इस मेलडी साधना (Ugti Meladi Mantra Sadhana) को अपने गुरुदेब के पास मे रहकर किया जाता है । इस उगती मेलडी साधना मंत्र साधना (Ugti Meladi Mantra Sadhana) को किसी भी नबरात्री में प्रथम दिन से या रबिबार के दिन से आरम्भ किया जाता है । यह साधना उदय मेलडी भगबती की हैं । इसको सूर्य की शक्ति सुर्यमेलडी भी कहते है या सूर्या भबन की उगती मेलडी माता कही जाता है । यह मां परमेश्वरी जगदम्बा का ही अबतार और अंश है तथा भगबती अम्बा का स्वरुप ही मेलडीमाता का रुप है अर्थात् जगदम्बा का प्राप्त रुप मेलडी है । मेलडी मां कलियुग की महाशक्ति मानी जाती है । इसके चमत्कार बंगाल, कामरु कामाख्या, गुजरात, राज्स्थान आदि स्थानों मे अधिक देखने को मिलते हैं । यह उगती मेलडी देबी समस्त सिद्धियों को प्रदान करती है । यह मेलडी ओझाओं की अघोरियों की, तांत्रिक, भोपों, मांत्रिक आचर्य, फकीर, साधु सन्त आदि सभी की प्रिय देबी है । इसको सभी लोग पूजते हैं । उगती मेलडी साधना के समय सर्बप्रथम स्थापना करनी चाहिये या फिर इसकी साधना मेलडी माता मन्दिर में करे । सुबह के समय पबित्र होकर शुद्ध लाल बस्त्र धारण करके सूर्योदय की और या पूर्ब दिशा की और मुख करके आसन लगाकर बैठ जायें और तिली के तेल का दीपक जलाबें । फिर पंचोपचार बिधि से पुजन कर लें और नौ दिन यह मंत्र जपे प्रतिदिन 108बार जाप करें । नैबेद्य में फल नारियल, सुखडी चडाबें अन्तिम दिन कन्याओं भोजन कराबें । उगती मेलडी साधना के बाद बिसर्जन कर लें । माता सभी कामना पूर्ण करती है ।
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जय माँ कामाख्या